यात्री निवास
पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन का मंदिर तो बड़ा ही प्राचीन धार्मिक स्थान है। यहाँ माता के भक्त और इस शक्तिपीठ के संस्थापक महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी के मतावलम्बी योगी जन अत्यन्त प्राचीन काल से दर्शनार्थ आते जाते और निवास करते रहे हैं और निश्चय ही उस समय की देश और समाज की अवस्था के अनुसार ही मठ और मंदिर का भी प्रचार प्रसार रहा होगा, किन्तु विगत कुछ दशकों से श्री गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर और इसके श्री महंतों की देखरेख में आने के बाद इसके भौतिक स्वरूप में काफी निखार और विस्तार हुआ है। विशेषतः श्री माँ पाटेश्वरी शक्तिपीठ के ब्रह्मलीन महंत महेन्द्रनाथ जी का कार्यकाल तो मंदिर सहित सम्पूर्ण परिसर के सुन्दरीकरण तथा इसमें अनेक नवनिर्माणों आदि के कारण सर्वदा उल्लेखनीय है। अस्तु माई के मठ-मंदिर के भौतिक विकास, विस्तार और भव्य रूप निखार के कारण जबसे मंदिर में परम्परागत भक्तों और योगियों के अतिरिक्त जन-सामान्य की और पर्यटन की दृष्टि से भी यहाँ आने वालों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, तब से उनके यहाँ ठहरने-रुकने की समस्या भी उत्पन्न हुई है। इस सार्वजनिक आवश्यकता की सुन्दर एवं सुविधाजनक प्रतिपूर्ति की ओर भी महान कर्तृत्ववान और दूरदर्शी ब्रह्मलीन महंत महेन्द्रनाथ योगी जी का ध्यान गया और उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर महाराज से अनुमति लेकर यहाँ शीघ्रातिशीघ्र एक प्रशस्त और सुन्दर तथा सुविधा सम्पन्न यात्री निवास का देखते ही देखते निर्माण करा दिया, जो निर्माण के बाद अब यात्रियों, अतिथियों के लिए आसानी से उपलब्ध आवासीय सुविधा वाला सुन्दर स्थान है। इस दो मंजिले सुन्दर भवन में कई सुसज्जित बड़े-बड़े कमरे और जन-सुविधाओं से युक्त कई प्रशस्त कक्ष भी हैं जिनमें बराबर यात्रीगण इच्छानुसार निवास करते हैं।