शक्तिपीठ मंदिर के क्रमशः भौतिक विकास के साथ-साथ यहाँ विभिन्न धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला भी प्रारम्भ हुआ, जिसे भली-भाँति सम्पन्न करने के लिए एक प्रशस्त सभागार की आवश्यकता अनुभव की गई। ब्रह्मलीन महंत महेन्द्रनाथ जी ने शक्तिपीठ की इस कमी को दूर करते हुए श्री गोरक्षनाथ मण्डपम् के नाम से एक भव्य और सुसज्जित सभागार का न केवल निर्माण कराया बल्कि परम पूज्य गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज से विधिवत् उसका उद्घा टन कराकर उन्होंने ब्रह्मलीन होने के पूर्व समारोह पूर्वक उसे लोकार्पित भी कर दिया। 60 फुट लम्बा और 40 फुट चौड़ा यह सभागार भी मंदिर परिसर में एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहाँ आये दिन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन्न होते रहते हैं।