देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी
जय जय पातालपुरी-वासिनि ! त्रय-ताप-हरी ।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी ।।१।।
गावत सब श्रुति-पुराण, महिमा भव-सिन्धु-तरी।
त्रिभुवन की तू ही धुरी, तू ही त्रिपुरसुन्दरी ।।२।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
ऋद्धि-सिद्धि सुख-समृद्धि, द्वारे कर जोरि खड़ी।
जोहत तब कृपा कोर, ब्रह्मा-शिव-शम्भु-हरी ।।३।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
तू ही उत्पत्तिस्थिति तू ही संहार करी ।
अग-जग-रच सब में बस, तू ही खुद संचरी ।।४।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
विद्या-बल-बुद्धि-झरी, महामोह-तिमिर हरी।
तू ही परा, पश्यन्ती, मध्यमा या वैखरी ।।५।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
कमला शुभ-लाभ-करी, सस्य-कलम-कमल-धरी।
पट्टाम्बर-परीधान, मन्द-मधुरह्वास-भरी ।।६।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
दुर्गा दुर्गार्तिहरी, शूल-चक्र-गदा-धरी ।
चण्ड-मुण्ड-महिष-शुम्भ, सर्व-गर्व-खर्व-करी ॥७॥
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
आद्यार्या, महातपा चामुण्डा, महोदरी।
महाप्रकृति, तू ही चिति, माया, कुल, नाम-धरी ।।८।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........
जय, जय जय जगत् जननि । सकल योग-क्षेम-करी।
मेरो दुःख-द्वन्द्व हरो, तू ही कल्याण-करी ।।६।।
देवीपुर पाटन की माता पाटेश्वरी........