मंदिर से कुछ गज दूर ईशान कोण में दक्षिणाभिमुख मठ के सामने एक मीटर भर ऊँचे पीठ पर उत्तर-दक्षिणाभिमुख मंदिर बना हुआ है। इसके दो भाग है। उत्तर की ओर भगवती अन्नपूर्णा की तथा दक्षिण की ओर बटुक भैरव की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में माई पाटेश्वरी देवी एवं काली जी के दर्शन के बाद पूर्ण फलप्राप्ति के लिए इनका दर्शन आवश्यक है। कहते हैं कि बटुक भैरव की आराधना से शत्रु बाधा दूर होती है और माता अन्नपूर्णा की कृपा से धन-धान्य की समृद्धि प्राप्त होती है।