मंदिर के पास ही कुछ कदमों की दूरी पर पूर्वोत्तर कोण में एक सुन्दर, स्वच्छ और व्यवस्थित मठ बना हुआ है जिसमें मंदिर के श्री महंत का आसन और निवास है। इसकी संरचना पहले तो साधारण ही थी किन्तु जब से यह मठ और मंदिर श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के मार्फत अ०भा० अवधूत भेष बारहपंथ नाथ योगी महासभा की देखरेख में आया है, इसके भौतिक स्वरूप में समय और आवश्यकता के अनुसार निरन्तर विकास होता जा रहा है जो योजनानुसार भविष्य में भी जारी रहने वाला है। वर्तमान मठ में भी आधुनिक साज-सज्जा और सुविधाओं से सम्पन्न अनेक कक्ष हैं, किन्तु सन्त का निवास स्थान होने के कारण यहाँ सर्वत्र सादगी, स्वच्छता और एक विशेष प्रकार की शान्ति का वातावरण बना रहता है।
मठ के पश्चिमी कोण में योगियों के अधिष्ठान की पहचान के लिए आवश्यक अखण्ड धूना स्थित है जो मंदिर के निर्माण काल से ही गुरु गोरक्षनाथ जी द्वारा स्थापित माना जाता है। इसमें अग्नि निख्तर प्रज्ज्वलित रहती है और इसकी भस्म बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ् श्रद्धालुजन ले जाते हैं, अखण्ड धूना के लिए परम्परागत रूप से सरकार से प्रतिवर्ष पर्याप्त लकड़ी प्राप्त होती है। यह अखण्ड धूना देवीपाटन मंदिर पर योगियों के अधिकार, वर्चस्व और प्रभाव का भी द्योतक है। अखण्ड धूना के प्रशस्त कक्ष में ही वायव्य कोण में आकाश भैरव की विशाल प्रतिमा स्थापित है जिसका दर्शन साधकों तथा दर्शनार्थियों के लिए समान रूप से आवश्यक माना जाता है। वैसे भी नाथ पंथ में भैरव की विशेष मान्यता है और इनकी मूर्ति या इनका स्थान प्रायः सभी नाथ पंथी मठों और मंदिरों में मिलता है। श्री माँ पाटेश्वरी मंदिर स्थित श्री गोरक्षनाथ जी के इस अखण्ड धूने के अतिरिक्त मंदिर के पीछे बाग में एक नया सुन्दर धूना-भवन योगेश्वरों के लिए बना है जहाँ समय-समय पर यहाँ आने वाले योगीजन रमते हैं।