मंदिर के गर्भगृह में ही दक्षिण दिशा में घी के दो दिये हमेशा प्रदीप्त रहते हैं। कहते हैं कि मंदिर की स्थापना के समय से ही ये दिये प्रदीप्त रखे जा रहे हैं। इनमें समय-समय पर घी और बाती की योजना होती रहती है।
इन अखण्ड दीपों से निकलने वाले काजल की बड़ी महिमा है। भक्त लोग इसका प्रयोग नेत्र रोगों के निवारणार्थ करते हैं और कई श्रद्धालुओं ने इससे चमत्कारिक लाभ की पुष्टि की है।